Tuesday, June 2, 2020

कन्या भ्रूण हत्या- Female infanticide and sex-selective abortion.

प्रिय पाठक ,

आपका पुनः स्वागत है हमारे ब्लॉग (Status of women in India ) में जैसा कि आप सभी जानते है मै अपने ब्लॉग के माध्यम से महिलाओं और बच्चियों पर हो रहे अत्याचारों और भेदभाव से समय - समय पर अवगत करता रहा हूँ आज का जो मुद्दा है वह बहुत ही मार्मिक और विचारणीय है | 



कन्या भ्रूण हत्या और जन्मोपरांत उनकी मृत्यु -  यह एक ऐसी समस्या है जो जो हमारे भारतवर्ष में प्राचीन युग से ही चली आ रही है परन्तु उस समय में इसका अनुपात कम था जैसा की हमने पहले भी पढ़ा की भारत पुरुष प्रधान देश है इसी वजह से लोग पुरुषों को ज्यादा महत्व देते है और हर दम्पति की पहली वरीयता पुत्र की होती है की उनकी संतान पुत्र ही हो , ऐसा अक्सर देखा जाता है की पुत्र के जन्म पर लोग खुशियां मनाते है नाच गाने करते है भजन कीर्तन करते है परंतु उसके विपरीत पुत्री के जन्म पर लोग मायूस हो जाते है और लोगों को बताने में में भी उन्हें असहजता महसूस होती है उनके शब्दों के भाव से ही पता चलता है उनकी अंतर्मन के दुःख का जैसे - शर्मा जी के घर  बेटी का जन्म हुआ तो उन्होंने अपने पडोसी वर्मा जी को बोला बेटी हुई है वही पड़ोस में सक्सेना जी के यहाँ बेटा  हुआ तो उन्होने वर्मा जी को मिठाई भी खिलाई और बोला राजकुमार हुआ है घर का वारिस आ गया मेरे घर का चिराग | 




लोगों के मन में जब तक बेटा और बेटी एक समान है ऐसी भावना नहीं जागृत होगी इस समस्या का समाधान संभव नहीं है|  लोगों की इस कुंठित मानसिकता ने अब क्रूर रूप ले लिया है और वो बच्चियों को जन्म से पूर्व ही गर्भ में मार  देते है टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके लिंग की जाँच करा के | जबकी भारत देश में लिंग की जाँच करना कानूनन जुर्म है और इसके लिए जाँच करने वाली संस्था का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है और डॉक्टर को जेल भी हो सकती है तथा जाँच करने वाले को भी सजा का प्रावधान है जो मैं आप लोगों को भी बताना चाहूंगा | 


लिंग जाँच पर तीन वर्ष की सजा का प्रावधान - लिंग प्रतिरोध अधिनियम 1994 के अंतर्गत तीन वर्ष की सजा और 50000 रुपये आर्थिक दंड दुबारा ऐसा करने पर 5 साल की सजा और 100000 रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है | यद्पि आप इसका इस्तेहार लगाते है तो तीन साल की जेल और 10000 रूपये की सजा का प्रावधान है | 


दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग है जो जन्म के बाद बच्चियों को जंगलों , अस्पतालों में छोड़कर भाग जाते है ऐसी कुपोषित मानसिकता के लोगो के मन में न तो प्यार और न ही दर्द होता है उस नन्ही जान के प्रति जिसे वो ९ माह तक पेट में पाल कर रखते है ऐसे लोगों का सामाजिक बहिस्कार और कड़ी से कडी सजा होनी चाहिए | 

जबकि लोगों को ये बात समझ नहीं आती की औरतो के बिना सृस्टि अधूरी है और लिंगानुपात कम होने के कारन अपने बच्चों के विवाह कहाँ से करेंगे | हरियाणा ,पंजाब और गुजरात जैसे राज्यों में लिंगानुपात में काफी अंतर् देखा गया है हरियाणा में ये स्तिथि बनी हुयी है को लोग विदेशों से बहू ला रहे है परतु फिर भी ये बात समझ नहीं आ रही है 

और आज की स्तथि को देखे तो लड़कियां सभी क्षेत्रों में बढ़चढ़कर हिस्सा ले रही है और पुरुषों से कदम से कदम मिला कर चल रही है पुरुषों पर उनकी निर्भरता कम हो गयी है और घर चलाने में भी पूरा सहयोग दे रही है 

सभी लोगों से अनुरोध है की कृपया ये पाप न करे और न ही किसी को करने की सलाह दे यदि आसपास कोई सगा सम्बन्धी ऐसा करता हुआ दिखे तो उसे भी जागरूक करें और ऐसा पाप न करने दे | 

भारत देश में हिन्दू धर्म के लोग ज्यादा निवास करते है और हिन्दू धर्म में कन्याओं की पूजा की जाती है और उन्हें लक्ष्मी का रूप माना जाता है संस्कृत भाषा में एक श्लोक है -

 
एक कदम समाज सुधार की ओर 

धन्यवाद 


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Dear reader ,

Welcome back to our blog (Status of women in India) As you all know, through my blog, I have been aware from time to time about the atrocities and discrimination against women and girls. Is very touching and reflective.



Female Infanticide and death after birth - this is a problem that has been going on in our India since ancient times, but at that time its proportion was less as we have read earlier that India is a male dominated country, that is why people Men give more importance to each other and every couple's first preference is that of a son to be their son, it is often seen that on the birth of a son, people are celebrating and singing songs and singing bhajans but unlike their daughter People are discouraged at birth and they feel uncomfortable in telling people that their words only show their grief, like the grief of their inner self - like a daughter was born in Sharma ji's house, he gave his neighbor Verma ji He said that he had a daughter in the same neighborhood, he had a son with Saxena ji, then he also fed sweets to Verma ji and said that he has become a prince and heir of the house has come to my house.




As long as the son and daughter are equal in the mind of the people, such a feeling will not be awakened, the solution of this problem is not possible. This frustrated mentality of the people has now taken a cruel form and they kill the girls in the womb before birth by using technology to check the gender. While in India, sex checking in the country is a legal offense and the license of the examining institution can be revoked for this and the doctor can be jailed and there is a provision for punishment to the investigator which I tell you also. Would like


Provision of three-year sentence on gender check - Under the Gender Resistance Act 1994, there is a provision of three years' imprisonment of Rs. 50000 and financial penalty of 5 years and a fine of up to Rs. 100000. If you use it, there is a provision of three years jail and a punishment of Rs 10,000.


On the other hand, there are some people who leave the girl child in the forests and hospitals after birth and run away with such a malnourished mentality that neither love nor pain in the mind of the little person whom they have been carrying for 6 months. Taxes should be subjected to severe social punishment and severe punishment.

Whereas people do not understand that creation without women is incomplete and due to low sex ratio, where will they marry their children? In states like Haryana, Punjab and Gujarat, there has been a lot of difference in the sex ratio, this situation has been created in Haryana, people are bringing daughters from abroad, but still do not understand this.

And looking at today's situation, girls are taking part in all the fields and are walking step by step with men, their dependence on men has reduced and they are also giving full support in running the house.

It is requested to all people that please do not commit this sin nor advise anyone to do it, if anyone around is seen doing this related to them, then also make them aware and do not allow such sin.

People of Hindu religion reside more in India and girls are worshiped in Hinduism and they are considered as the form of Lakshmi. There is a sloka in Sanskrit language -





One step towards social reform

Thank you












                                   



Thursday, May 14, 2020

Status of women in India - Domestic violence

प्रिय पाठक ,

आज हम आपको ऐसी घटना के बारे में बताएँगे जो प्रतिदिन भारत के किसी न किसी घर में घटती रहती है | 
आज हमारे सभ्य समाज में भी प्रत्येक महिला को अपने संपूर्ण जीवन काल में कभी न कभी किसी न किसी रूप में सहनी पड़ती है हमारे देश में घरेलु हिंसा का मुख्य दोषी पति को माना जाता है परन्तु ऐसा नहीं है अमूमन यह देखा गया है कि वह परिवार का कोई भी सदस्य हो सकता जैसे की सास -ससुर , देवर -देवरानी ,ननद और जेठ -जेठानी भी हो सकते है कई बार संपत्ति का विवाद भी घरेलु हिंसा का रूप ले लेता है | ज्यादातर महिलाएं अपनी इज्जत और सामाजिक अपमान के डर से वो अपने माता पिता को भी नहीं बताती है की उनके साथ ये दुर्व्यवहार हो रहा है वो ये सोंचकर चुप हो जाती है की उन्हें रहना अपने पति के साथ ही है और पूरा जीवन उसी के साथ गुजारना है | जैसे जैसे महलाएं जागरूक हुई और शिक्षित हुई उन्होंने अपने साथ हो रहे अत्याचारो को खुल कर साझा किया और उसके लिए उन्होंने क़ानून का सहारा लिया | भारत सरकार ने घरेलु हिंसा को रोकने की लिए कड़े कानून बनाएँ  है 

घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसका उद्देश्य घरेलू हिंसा से महिलाओं को बचाना है और पीड़ित महिलाऔं को कानूनी सहायता उपलब्ध कराना है। यह २६ अक्टूबर २००६ को लागू हुई।


घरेलू हिंसा क्या है?

शारीरिक दुर्व्यवहार अर्थात शारीरिक पीड़ा, अपहानि या जीवन या अंग या स्वास्थ्य को खतरा या लैगिंग दुर्व्यवहार अर्थात महिला की गरिमा का उल्लंघन, अपमान या तिरस्कार करना या अतिक्रमण करना या मौखिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार अर्थात अपमान, उपहास, गाली देना या आर्थिक दुर्व्यवहार अर्थात आर्थिक या वित्तीय संसाधनों, जिसकी वह हकदार है, से वंचित करना,मानसिक रूप से परेशान करना ये सभी घरेलू हिंसा कहलाते हैं।

इस क़ानून के तहत घरेलू हिंसा के दायरे में अनेक प्रकार की हिंसा और दुर्व्यवहार आते हैं। किसी भी घरेलू सम्बंध या नातेदारी में किसी प्रकार का व्यवहार, आचरण या बर्ताव जिससे (१) आपके स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, या किसी अंग को कोई क्षति पहुँचती है, या (२) मानसिक या शारीरिक हानि होती है, घरेलू हिंसा है।

इसके अलावा घरेलू सम्बन्धों या नातेदारी में, किसी भी प्रकार का

  • शारीरिक दुरुपयोग (जैसे मार-पीट करना, थप्पड़ मारना, दाँत काटना, ठोकर मारना, लात मारना इत्यादि),
  • लैंगिक शोषण (जैसे बलात्कार अथवा बलपूर्वक बनाए गए शारीरिक सम्बंध, अश्लील साहित्य या सामग्री देखने के लिए मजबूर करना, अपमानित करने के दृष्टिकोण से किया गया लैंगिक व्यवहार, और बालकों के साथ लैंगिक दुर्व्यवहार),
  • मौखिक और भावनात्मक हिंसा ( जैसे अपमानित करना, गालियाँ देना, चरित्र और आचरण पर आरोप लगाना, लड़का न होने पर प्रताड़ित करना, दहेज के नाम पर प्रताड़ित करना, नौकरी न करने या छोड़ने के लिए मजबूर करना, आपको अपने मन से विवाह न करने देना या किसी व्यक्ति विशेष से विवाह के लिए मजबूर करना, आत्महत्या की धमकी देना इत्यादि),
  • आर्थिक हिंसा ( जैसे आपको या आपके बच्चे को अपनी देखभाल के लिए धन और संसाधन न देना, आपको अपना रोज़गार न करने देना, या उसमें रुकावट डालना, आपकी आय, वेतन इत्यादि आपसे ले लेना, घर से बाहर निकाल देना इत्यादि), भी घरेलू हिंसा है।

व्यथित व्यक्ति के अधिकार

  • पीड़ित इस कानून के तहत किसी भी राहत के लिए आवेदन कर सकती है जैसे कि - संरक्षण आदेश,आर्थिक राहत,बच्चों के अस्थाई संरक्षण (कस्टडी) का आदेश,निवास आदेश या मुआवजे का आदेश
  • पीड़ित आधिकारिक सेवा प्रदाताओं की सहायता ले सकती है
  • पीड़ित संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर सकती है
  • पीड़ित निशुल्क क़ानूनी सहायता की मांग कर सकती है
  • पीड़ित भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत क्रिमिनल याचिका भी दाखिल कर सकती है, इसके तहत प्रतिवादी को तीन साल तक की जेल हो सकती है, इसके तहत पीड़ित को गंभीर शोषण सिद्ध करने की आवश्यकता हैl



घरेलू हिंसा का उजागर न हो पाना  मुख्य कारण अशिक्षा और जागरूकता का आभाव है महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना होगा ताकि व शादी के बाद पूर्ण रूप से पति पर आश्रित न हो और ऐसे घटना होने पर बिना झिझके हुए क़ानूनी लड़ाई लड़ लड़ सकती है 

हमारे देश में लगभग हर साल ५.२ % /लाख केस घरेलू हिंसा के दर्ज होते है परन्तु मेरा ऐसा मानना है की पचास प्रतिशत केस महिलाएं सामाजिक प्रतिष्ठा को बचने के लिए दर्ज ही नहीं कराती है|  जो भी लोग इस पोस्ट को पढ़ रहे होंगे उनसे यही प्रार्थना है की महिलाओं का सम्मान करें वह हमारे जीवन और समाज का अभिन्न अंग है इस जगत की जननी है महिलाओं के बिना सृष्टि अधूरी है हमारे सम्पूर्ण जीवन काल में वह कभी माँ, बहन और  पत्नी के रूप में  साथ देती | आज सभी क्षेत्रो में महिलाएं बराबरी से आगे बढ़ रही है चाहे वह राजनीति हो या शिक्षा हो मनोरंजन हो या खेल हो | 

आपका एक कदम सामाजिक सुधार की ओर हम सब को ले जायेगा इसलिए घरेलू हिंसा न करे और न ही घर- परिवार और आसपास होने दे जो ऐसा करता हो उसके खिलाफ आवाज़ उठायें | 

एक कदम सामाजिक सुधार की ओर 

धन्यवाद 



                                             












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Dear reader,

Today we will tell you about such an incident which happens every day in some or the other house of India.
Today, even in our civilized society, every woman has to bear some form or the other throughout her life, in our country, husband is considered the main culprit of domestic violence, but it is not generally seen that that family There can be any member of such as mother-in-law, brother-in-law, brother-in-law, sister-in-law and daughter-in-law can also be a property dispute at times takes the form of domestic violence. Most of the women do not even tell their parents that they are being mistreated for fear of their dignity and social humiliation. Is As the women became aware and educated, they openly shared the atrocities happening with them and for that they resorted to law. Government of India has enacted strict laws to prevent domestic violence.

The Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005 is an Act passed by the Parliament of India which aims to protect women from domestic violence and provide legal assistance to the victims. It came into force on 24 October 2007.


What is domestic violence?

Physical abuse ie physical pain, abduction or threat to life or limb or health or lagging abuse ie violating, insulting or insulting or encroaching on a woman's dignity or verbal and emotional abuse ie insulting, ridiculing, abusing or financial abuse ie economic or Depriving the financial resources to which it is entitled, mentally disturbing all these domestic violence Called.

Under this law, various forms of violence and abuse come under the purview of domestic violence. Any type of behavior, conduct or behavior in any domestic relationship or relationship that (1) causes any damage to your health, safety, life, or any organ, or (2) causes mental or physical harm is domestic violence.

Also in domestic relationships or kinship, any kind of

Physical abuse (eg beating, slapping, biting teeth, kicking, kicking etc.),
Sexual abuse (such as rape or coercive physical relationships, forced viewing of pornography or content, sexual behavior from a point of view of humiliation, and sexual abuse of children),
Verbal and emotional violence (such as humiliating, abusing, accusing character and conduct, harassing when you are not a boy, harassing in the name of dowry, forcing you not to work or quit, not marrying your mind Giving or forcing a person to marry, threatening suicide, etc.),
Financial violence (such as not giving you or your child money and resources to take care of you, not allowing you to do your employment, or hindering it, taking your income, salary, etc. out of your home, getting them out of the house etc.), also domestic There is violence.

Rights of aggrieved person
The victim can apply for any relief under this law such as - Protection Order, Economic Relief, Temporary Protection of Children (Custody) Order, Residence Order or Compensation Order
Victims may enlist the help of official service providers
Contact the victim protection officer
Victim may ask for free legal aid
The victim can also file a criminal petition under the Indian Penal Code (IPC), under which the defendant can be jailed for up to three years, under which the victim needs to prove serious exploitation.



The main reason for not being exposed to domestic violence is the lack of illiteracy and awareness that women will have to become self-sufficient so that they do not become completely dependent on the husband after marriage and can fight a legal battle without any hesitation in the event of such incident.

In our country, about 52% / lakh cases of domestic violence are registered every year, but I believe that fifty percent of the cases are not filed by women to save social prestige. It is a prayer to all those who are reading this post that they should respect women. It is an integral part of our life and society. The mother of this world is incomplete without women. In our entire life, she is sometimes mother, sister and wife. Accompanies as Today, women are advancing equally in all areas, whether it is politics or education, entertainment or sports.

Your one step will take all of us towards social reform, so do not commit domestic violence nor let the house and family be around and raise the voice against anyone who does not.

One step towards social reform

Thank you





https://twitter.com/i/status/1246973397759819776

Sunday, April 26, 2020

Status of women in india - Education

प्रिय पाठक ,

आज हम आपको भारत में महिलाओं की शिक्षा की स्तिथि के बारे में बताएँगे | इसे हम दो भागो में समझेंगे
पहला ग्रामीण क्षेत्र दूसरा शहरी क्षेत्र भारत की ७०% जनसँख्या ग्रामीण इलाकों में निवास करती है और मुख्य व्यवसाय कृषि है उसी से ही उनका जीवन यापन होता है भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर करती है जिससे उनकी आय मानसून पर निर्भर करती है |
भारत में पितृसत्तात्मक शैली का प्रचलन है और पुत्र को वरीयता दी जाती है चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो इसलिए उनकी शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया जाता है परन्तु समय के अनुसार काफी बदलाव हुआ है अब महिलाओं को भी शिक्षा प्रदान की जाती है परन्तु कम आय होने के कारण आज भी उन्हें उच्च शिक्षा से वंचित रखा जाता है बारहवी के बाद उनका विवाह कर दिया जाता है परन्तु मेरा ऐसा मानना है की उन्हें भी उच्च शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि उन्हें भी समान अधिकार मिले उच्च शिक्षा से वो भी रोजगार को प्राप्त करेंगी और समाज को आगे बढ़ने में मदद करेंगी ऐसा देखा गया है की घर की जिम्मेदारी पति की होती है पति की मृत्यु के बाद महिलाये बेबस और लाचार हो जाती है उन्हें दर दर की ठोकर खानी पड़ती है अपने बच्चों को दो वक्त की रोटी के लिए न तो परिवार साथ देता है और न ही रिस्तेदार इसलिए महिलाओं को शिक्षित होना बहुत जरुरी है और रोजगार परक शिक्षा दी जाय तो ज्यादा बेहतर होगा उनके बेहतर भविष्य के लिए | ग्राफ देखें
शहरी क्षेत्रों में काफी हद तक सुधार हुआ है और उनकी साक्षरता में वृद्धि देखी गयी है लोगों में जागरूकता और संसाधनों की पूर्ति की वजह से उनको उच्च शिक्षा मिल जाती है और रोजगार के लिए भी संसाधन उपलब्ध है वही गावो की बात करें तो उच्च शिक्षा के लिए घर से काफी दूर जाना पड़ता है और रोजगार की स्तिथि बहुत ही दयनीय है पुरषों को रोजगार के लिए दूसरी जगह पर जाना पड़ता है १००० मील दूर परिवार से अलग | ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए ये असंभव जैसी बात है क्यूंकि सुरक्षा की दृष्टि से भी सही नहीं है अकेले रहकर नौकरी कर पाना | जो महिलाएं उच्च शिक्षा ग्रहण कर लेती है उनकी सबसे बड़ी समस्या रोजगार की होती है ग्रामीण क्षेत्रों में |




महिलाओं को शिक्षित करने से न एक सभ्य परिवार का निर्माण होता है बल्कि एक सभ्य समाज का भी निर्माण होता है हर क्षेत्रो में पुरुष ही प्रधान बनकर नेतृत्व करते थे परन्तु आज महिलाएं भी प्रधान बनकर नेतृत्व कर रही है और पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है महिलाओं के शिक्षा प्राप्त करने से उनमे हौंसला बढ़ता है ,आत्मविश्वास बढ़ता है और वो आत्मनिर्भर बनती है महिलाओं को खुद की बातें प्रस्तुत करने का मौका मिलता है।  वो समाज के सामने आकर अपनी बातें रखती है जिससे समाज में नये नए बदलाव आते है महिलाओं के  शिक्षित होने से अर्थव्यवस्था में भी सुधार आएगा। क्यूंकि जिस प्रकार आज शहर की लड़कियां हर छेत्र में अपना वर्चस्व दिख रही है चाहे वह रेल हो या खेल हो , फिल्म हो या  राजनीति, स्कूल हो या अस्पताल। ठीक उसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों को भी मौका मिलना चहिये ये बात उनके माता पिता को समझनी चाहिए और सरकार को भी नए नए योजनाओं के माध्यम से उन्हें आर्थिक मदद करनी चाहिए।

ग्रामीण क्षेत्र की लड़किया इस कारन भी  नहीं  पढ़ पाती  है की वह पर स्कूलों में महिला अध्यापिकाओं की कमी होना जिसके कारन वो अपनी समस्या को  खुलकर नहीं बता पाती , लड़कियों के लिए अलग स्कूल पर जोर दिया जाना चहिए और उनकी शिक्षा रोजगार परक होनी चाहिए
कुछ लड़कियां इसलिए भी नहीं पढ़ती है  की पढ़ लिख कर होगा क्या करना तो घर का काम ही है तो उनकी सोंच सीमित हो जाती है और वो स्कूल ही नही जाती और उनके माँ बाप भी इसी सोंच के साथ नहीं जाने देते। ग्रामीण क्षेत्रं में ये समस्या आज भी  बिकराल रूप धारण किये हुए है सबको शिक्षा का अधिकार है इसलिए इस सोंच को बदलना होगा कि  बेटिया पढ़ लिख कर क्या करेंगी। पढ़ेगी बेटियाँ तो बढ़ेंगी बेटियां 

धन्यवाद

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If you are a book lover must read more about status of women in India.

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Dear reader,



Today we will tell you about the state of women's education in India. We will understand this in two parts

First rural area Second urban area 70% of the population of India lives in rural areas and their main occupation is agriculture, from that they live, Indian agriculture depends on monsoon, so their income depends on monsoon.

Patriarchal style prevails in India and preference is given to the son, irrespective of the field, so there is a lot of emphasis on their education, but there has been a lot of change over time, now women are also provided education but having low income. Due to this, even today, they are deprived of higher education, they are married after twelfth, but I believe that they are also given higher education. It should be known that they will also get equal rights, they will also get employment with higher education and help the society to move forward. It has been seen that the husband is responsible for the house, after the death of the husband, women become helpless and helpless. The rate has to stumble, neither the family nor the relatives support their children for two days' bread, so it is very important for women to be educated and Labor intensive to be taught will be much better for their future | See graph

Urban areas have improved to a great extent and their literacy has seen an increase, due to the awareness of people and the fulfillment of resources, they get higher education and resources for employment are also available. Talk of villages, higher education. We have to go far away from home and the employment situation is very pathetic. Men have to move to another place for employment 1000 miles apart from family. It is like impossible for women in rural areas because it is not right from the point of view of security to be able to work alone. The biggest problem for women who get higher education is employment in rural areas.

Educating women not only creates a decent family but also creates a civilized society, in every field, men used to lead as leaders, but today women are also leading as leaders and men walk shoulder to shoulder. It has been encouraging women to get education, increase confidence and become self-reliant, submit their own things to women Get a chance to do. She comes in front of the society and keeps her talk, which brings new changes in the society, the economy will also improve by educating women. Because the way the girls of the city are showing their dominance in every area today, whether it is rail or sports, film or politics, school or hospital. In the same way, girls in rural areas should also get a chance and their parents should understand this and the government should also help them financially through new schemes.

Girls in rural areas are unable to study because of the lack of female teachers in schools due to which they are not able to articulate their problems, a separate school for girls should be emphasized and their education should be employment oriented.
Some girls do not even study what to do by reading and writing, if they have to do household work, then their thinking is limited and they do not go to school and their parents also do not allow them to go with this thought. In rural areas even today, this problem is taking place in the form of sale, everyone has the right to education, so this thinking will have to change what the daughters will do after studying. Daughters will read, daughters will grow
Thank you




Tuesday, April 14, 2020

Status of women in india -Dowry दहेज़ प्रथा

प्रिय पाठक ,

आज हम आपको एक ऐसी प्रथा के बारे में बताएँगे जिसके बारे में लिखते हुए मुझे खुद बड़ी असहजता हो रही है की आधुनिक भारत में भी इस कुप्रथा का अंत नही हो पाया है | परन्तु हमारे सभ्य समाज के लोग इसे अपनी  झूठी शान समझते है और इसको बढ़ावा दे रहे है |

दहेज़ प्रथा- यह एक ऐसी प्रथा है जो की समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है इस प्रथा में एक पिता को अपनी पुत्री के विवाह के लिए लड़के को दी गयी धनराशी और दैनिक उपयोग की वस्तुए तथा अनमोल रत्न जिसमे सोना, चाँदी और  हीरे जेवरात शामिल है इत्यादि देना पड़ता है चाहे वह किसी भी आय वर्ग  में आता हो इसका सबसे ज्यादा प्रभाव माध्यम वर्गीय और निम्न वार्गीय परिवार पर पड़ता है |


दहेज़ प्रथा के इतने भयंकर परिणाम है की शादी के बाद लड़की की हत्या तक कर दी जाती है और उसे कई प्रकार की यातनाये सहनी पड़ती है जिससे परेशांन होकर वो खुद आत्महत्या कर लेती है जबकि भारत सरकार ने इसके खिलाफ कड़े कानून बनाये हुए है फिर भी लोगों में जरा सा भय नही  है हमारे देश में ९०% लोगो को अपनी लड़की के विवाह के लिए दहेज़ देना पड़ता है |

यह एक मानक प्रणाली के रूप में देखा जाता है जिस आय वर्ग में आपको शादी करनी है उसके अनुसार आपको दहेज़ देना होगा | जबकि इसका मानक बदलकर लड़की और लड़के की शिक्षा और उसके गुणों के आधार पर होना चाहिए |

भारत में हर घंटे या तो किसी की दहेज़ के वजह से यातनाये झेलनी पड़ती है या उसकी मृत्यु हो जाती है कितनी दुःख की बात है की इस आधुनिक और शिक्षित समाज में भी इस तरह की बुराइयां ब्याप्त है हम सभी को इस तरह की सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने की शुरुवात करनी चाहिए देश के कुछ हिसों में इसका आरम्भ हो चुका है इस लेेख के माध्यम से आप लोगों से गुजरिह करता हूँ की न दहेज लें न दहेज़ दें | 

अगर कोई एक व्यक्ति भी इस लेख को पढ़कर ऐसा कदम उठाता है देश हित और सामाजिक सुधार में तो मेरा लिखना सार्थक हो जायेगा

कुछ महत्वपूर्ण बातें जो की हमे अपने समाज में बदलने की जरुरत है अपनी बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाये ताकि वो अपने आप पर निर्भर हो |  
ऐसी कई कुरीतियां है जो आज भी समाज में जीवित है जिसे हमे समाप्त करने की आवश्यकता है इसके लिए एक समूह बनाने की जरूरत है ताकि ग्रामीण इलाकों में जाकर उन्हें जागरूक किया जाय इसके लिए देशव्यापी जागरूकता अभियान की जरुरत है कई समाज सेवी लोग अकेले होने की वजह से ये कार्य नई कर पाते आने वाले समय में मैं और मेरे समूह के लोग इन सभी सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता अभियान चलाएंगे 
आपको जल्द ही इसके बारे में सूचित किया जायेगा | 

एक कदम समाज सुधार की ओर 
रोहित पाण्डेय 
 धन्यवाद्



                                                                                                                                                                                                                                                                                                        please must share
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Dear reader,



Today we will tell you about a practice about which I am very uncomfortable writing that even in modern India, this practice has not come to an end. But the people of our civilized society consider it as their false pride and are promoting it.



Dowry System - This is a practice that is not taking the name of the termination. In this practice, the money given to a father for the marriage of his daughter and the items of daily use and precious gems containing gold, silver and diamond jewelry. It has to be included etc. Whether it comes in any income group, it has the most impact on the middle class and the lower class.




The dowry system has such terrible consequences that even after marriage the girl is killed and she has to suffer many kinds of torture, which causes her to commit suicide herself, despite being persecuted by the Indian government. There is no fear at all in our country 90% of the people have to pay dowry for their girl's marriage.


This is seen as a standard system, according to which income group you have to marry, you have to pay dowry. Whereas its standard should be changed based on education of girl and boy and its qualities.



Every hour in India, either due to dowry, one has to face torture or death, it is a matter of sad that such evils are enough in this modern and educated society. The country should begin to finish it, in some respects it has started, through this test, you ask people not to take dowry or give dowry.


If any one person takes such a step by reading this article, in the interest of the country and social reform, then my writing will be meaningful.



Some important things that we need to change in our society, make our daughters educated and self-sufficient so that they depend on themselves.

There are many evils that are still alive in the society that we need to end, for this we need to form a group so that going to the rural areas and making them aware, a nationwide awareness campaign is needed for this. Many social workers are alone Because of this, in the coming time, people of my group and I will start an awareness campaign on all these social issues.

You will be informed about this soon.


One step towards social reform

Rohit Pandey

 Thank you


                                                                                                                                                                   
 Any suggestion please comment                                                                             please must share                                                                                                                                                                  

Sunday, April 5, 2020

Covid 19

प्रिये पाठक ,
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वाहन पर देश की सभी महिलाओं ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एक साथ मिलकर नौ बजे दीप प्रज्वलित किया | जिसमे लगभग सौ करोड़  लोगों ने हिस्सा लिया | घर पर रहे , सुरक्षित रहें |
धन्यवाद






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Dear reader,
Today, on the call of Prime Minister Narendra Modi, all the women of the country got together to fight the corona virus and lit the lamp at nine o'clock. In which about hundred crore people participated. Stay at home stay safe
Thank you

Saturday, April 4, 2020

Status of women in India 2020- historical Riwaz

प्रिय पाठक ,
आज आपको हम भारत में प्रचलित कुछ ऐतिहासिक प्रथाओं के बारे में बताएँगे | जैसे की सती प्रथा ,जौहर ,पर्दा प्रथा ,देवदासी प्रथा |
सती प्रथा- ये प्रथा मध्यकालीन  समय में प्रचलित थी जिसमे पति की मृत्यु के बाद पत्नी को उसके अंतिम संस्कार के समय अपने प्राणो की आहुति देनी पड़ती थी परन्तु आज ये प्रथा पूर्ण रूप से बंद हो चुकी है |
जौहर - यह प्रथा राजपूत समाज में काफी प्रचलित थी युद्ध के दौरान सभी हारे हुए योद्धाओं की पत्नियों और बेटियों के द्वारा शत्रु के द्वारा बंदी बनाये जाने और यौन उत्पीड़न से बचने के लिए स्वैच्छा से प्राणो की आहुति देना जौहर कहलाता था परन्तु आज लोकतंत्र होने की वजह से ये समाप्त हो गया है |
देवदासी प्रथा - ये प्रथा दक्षिण भारत में प्रचलित थी जहा पर महिलाओं की शादी मंदिर के देवताओं से की जाती थी परन्तु उनका शोशण किया जाने लगा और आज के समय में ये बंद हो गया है |
पर्दा प्रथा - यह एक ऐसी प्रथा है  जो कि आज भी प्रचलित है इस प्रथा में महिलाएं अपने चेहरे को पूर्ण रूप से ढक कर रहती है ग्रामीण इलाकों में इसका प्रचलन आज भी बड़े पैमाने पर है यह मुस्लिम और हिन्दू दोनों धर्मों में है धर्म गुरुओं के कारन इस कुरीति का समाप्ति नहीं हो पा रही है कही न कही यह उनके स्वतंत्रता को भी बाधित करता है सामाजिक जागरूकता ही इसको  समाप्त कर सकता है पर्दा प्रथा महिलाओं की क्रियाकलापों को  बाधित करता है इस प्रथा से उनके अधिकारों का हनन होता है सभी को खुलकर जीने का अधिकर है मैं सभी लोगों से यही कहना चाहूंगा की इस प्रथा को और न बढ़ाएं | उदाहरण के लिए छायाचित्र जरूर देखे |

धन्यवाद










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Dear reader,
Today we will tell you about some historical practices prevalent in India. Such as Sati system, Jauhar, Parda system, Devadasi system.
Sati system- This practice was prevalent in the medieval times in which after the death of the husband, the wife had to sacrifice her life at the time of her funeral, but today this practice has completely stopped.
Jauhar - This practice was quite prevalent in the Rajput society. Wives and daughters of all the defeated warriors during the war, voluntarily sacrificing their lives to keep them captive by the enemy and to avoid sexual harassment, were called Jauhar but today democracy Because it is finished.
Devadasi system - This practice was prevalent in South India, where women were married to the Gods of the temple, but they started being exploited and today it has stopped.
Parda system - This is a practice that is still practiced today, in this practice women keep their face fully covered and in rural areas it is still prevalent in large scale, it is in both Muslim and Hindu religions. Due to this, this evil practice is not going to end anywhere or it also hinders their freedom, only social awareness can end it.Curtain system impedes the activities of women; This practice violates their rights. Everyone has the right to live freely. I would like to say to all people that this practice should not be increased further. For example, you must see the photographs.


Thank you

Status of women in India - Child Marriage

प्रिय पाठक ,
एक ऐसा समय था जब भारत में महिलाओं की स्तिथि काफी विचारणीय थी चाहे वो ग्रामीण छेत्र हो या  शहरी छेत्र सभी जगह पर महिलाओं को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता था | कुछ कुरीतियों व शिक्षा की कमी के कारण उन्हें बराबरी का हक़ नहीं मिलता था बाल विवाह उनमे एक बड़ी समस्या थी कहते हैं समय बड़ा बलवान होता हैं समय के साथ हमारे देश में भी बदलाव आया और बाल विवाह पूर्ण रूप से बंद हो गया | सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं ने इसमें अहम् भूमिका निभाई , आज की स्तिथि काफी अच्छी हैं महिलाएं इस कुरीति से मुक्त हैं बाल विवाह के परिणाम बहुत ही भयंकर होते थे कम उम्र में माँ बन जाना जिसकी वजह से उन्हें उच्च शिक्षा नही मिल पाती थी और अपनी पूरी जिंदगी गृह कार्यों में गुजारनी पड़ती थी 
प्रिये पाठक अगर आपके देश में ऐसी कोई कुरीतियां है या थी तो कमेंट में जरूर बताए | उदाहरण हेतु छायाप्रति जरूर देखे | 
धन्यवाद 


















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There was a time when the situation of women in India was quite considerable, whether it was rural areas or urban areas, women had to face a lot of problems everywhere. Due to some malpractices and lack of education, they did not get equal rights. Child marriage was a big problem in them, saying that time is very strong. Over time there was a change in our country and child marriage completely stopped. Government and non-governmental organizations played an important role in this, today's situation is very good, women are free from this evil practice.The consequences of child marriage were very terrible, becoming a mother at young age due to which she could not get higher education and had to spend her entire life in home affairs.
Dear reader, if there are any such evils in your country, then please tell in the comments. Must see the photocopy for example.
Thank you

Friday, April 3, 2020

Status of women in India-About

प्रिय पाठक ,

आप भारत में महिलाओं की स्तिथि के बारे में जानना चाहते हैं तो आप हमारे ब्लॉग पर प्रतिदिन जरूर आये | 
यहाँ पर हम आपको भारत में महिलाओं की वर्तमान स्तिथि से परिचित  कराएँगे 
धन्यवाद | 


















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Dear reader, If you want to know about the status of women in India, then you must come to our blog daily. Here we will introduce you to the current status of women in India. Thanks |